December 3, 2024
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साउथ एशिया विमेन फिल्म फेस्टिवल के दौरान साउथ एशिया विमेन के माध्यम से एक बार फिर औरतों की आवाज को बुलंद करने की कोशिश गई है।

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South Asia
Women film festival..
साउथ एशिया विमेन फिल्म फेस्टिवल के दौरान मुझे भी नारियों पर रचित बहुत सी फिल्में देखने का मौका मिला। यह बात बिल्कुल साफ हो जाता है कि समाज कितना भी बदल रहा हो, लेकिन हम नारियों की स्थितियां आज भी वही की वही धरी पड़ी है।


हां ,यह भी सच है कि सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए 50% आरक्षण तक दिया गया है लेकिन अगर बात की जाएं पुरुषों की सोच की तो उनके लिए मात्र नारी मैक्सिमम केसेस में एक शोकेस के अलावा कुछ नही।साउथ एशिया विमेन के माध्यम से एक बार फिर औरतों की आवाज को बुलंद करने की कोशिश गई है।


आवश्यकता है कि आज समाज के चहुमुखी बौद्धिक विकास की। तभी संभव है कि रामराज्य के साथ-साथ सीताराज्य भी कायम हो पाएगा और औरतें खुली हवाओं में सांस लेने में खुद को सुरक्षित महसूस करेंगीं।

मन में जो कहीं-ना-कहीं कोई-ना-कोई डर का साया घर किया रहता है उससे दूर रहकर खुद को और समाज के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगीं।


आवश्यकता है एक बार फिर से महिलाओं की स्थिति को समझने की और शायद साउथ एशिया वीमेन फ़िल्म फेस्टिवल के माध्यम से यही कोशिश की जा रही है कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा।

अकबर ईमाम एडिटर ईन चीफ

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