राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी,पटना डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने अपने संबोधन मे कह दिया बहुत ही गंभीर बात
1 min readआज के राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट पदाधिकारी, अनुभाजन; अपर समाहर्ता विशेष कार्यक्रम; अपर समाहर्ता, विधि-व्यवस्था; जिला जन-संपर्क पदाधिकारी, यहाँ उपस्थित अन्य सभी पदाधिकारीगण और सभी मीडिया के हमारे मित्रगण सबसे पहले आप सभी मीडिया बन्धुओं को राष्ट्रीय प्रेस दिवस की हार्दिक शुभकामना। हमलोग आभारी हैं भारतीय प्रेस परिषद का जिनके दिशा-निदेश के आलोक में इस दिवस का आयोजन होता है। साल में कम से कम 1 दिन बैठकर हम लोग मंथन करते हैं, इस प्रकार का आत्मावलोकन करते हैं। दोनों पक्षों की बात सुनते हैं, सिर्फ एक पक्ष का नहीं। प्रशासन द्वारा क्या किया जा रहा है इसके बारे में विस्तार से आपलोगों ने बताया है। प्रशासन के अच्छे कार्यों को आप उचित जगह देते हैं इसके लिए आप सभी के प्रति आभार। जनता का फीडबैक भी आप देते हैं। इससे हमलोगों को और बेहतर करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
आप निश्चित रूप से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है। मीडिया का मतलब माध्यम है और माध्यम का मतलब है कि जनता तक सही सूचनाएं पहुंचे, सही खबर पहुंचे। ये जनता का अधिकार भी माना गया है। सूचना पहुंचाने वाले आप हैं, आप माध्यम हैं इसलिए आप बहुत ही महत्वपूर्ण है।ं जनता की जो परेशानियां हैं, कठिनाइयां हैं, समस्याएं हैं वो भी हम लोगों तक पहुंचे, तंत्र तक पहुंचे ये भी आपका दायित्व है और इसको आप अच्छी तरह निभाते हैं।
बहुत सारे हमारे वक्ताओं ने कहा कि आजादी की लड़ाई में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हर समय की परिस्थितियां अलग रहती है, उद्देश्य अलग रहता है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय आजादी सबसे बड़ी चीज थी, वही सबसे बड़ा उद्देश्य था सभी लोग मिलकर उसके लिए लड़े थे। उसके बाद बदलती परिस्थितियों में उद्देश्य हैं उसके लिए मिलकर सभी लोग काम कर रहे हैं। आज की परिस्थिति में हम लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंग हैं। लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन है। कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधायिका इन तीनों का उद्देश्य है जनता का अधिक से अधिक सशक्तिकरण हो उनका कल्याण हो। मीडिया का भी यही उद्देश्य है कि जनता का अधिक से अधिक सशक्तिकरण हो और उनकी कठिनाइयां कम हो, उनका कल्याण हो। हम लोग उद्देश्य देखंे तो हम सभी लोगों का उद्देश्य एक ही है, अलग अलग तरीके हैं, अलग अलग माध्यमों में जिससे हम लोग अपना अपना काम कर रहे हैं। एक दूसरे के हम सभी लोग पूरक हैं, कोई विरोधाभास नहीं है।
जो प्रशासन का दृष्टिकोण है, हम लोग आपकी खबर को बिल्कुल फीडबैक के रूप में लेते हैं। हम कभी नहीं चाहते हैं कि मीडिया प्रशासन का गुणगान करे। आप आलोचक हैं, मुख्य रूप से आपका काम आलोचना का है, आप समीक्षक हैं, आलोचक हैं अगर कहीं कोई गड़बड़ी है तो वो आप सामने लाते हैं। उसके कारण सुधार भी होता है। जनता की कुछ समस्याएं हैं, उसको भी आप सामने लाते हैं तो उसका समाधान होता है। इसलिए हम यह नहीं चाहेंगे कि आप जिला प्रशासन की केवल प्रशंसा करें। आप फीडबैक दें उसका स्वागत है। हम लोग प्रयास करते हैं आपकी बात को चाहे प्रिंट हो, इलेक्ट्रॉनिक हो, डिजिटल मीडिया हो, हम सुझाव-फीड्बैक के रूप में देते हैं। जहाँ तक प्रशासन की खबरों की बात है, प्रशासन के पक्ष की बात है हम लोग प्रयास करते हैं कि समय से मीडिया को सभी सूचना जरूर मिले क्योंकि अब हम लोग देख रहे हैं कि मीडिया में प्रतिस्पर्धा बहुत बड़ी है।
आज का जो विषय है मीडिया का बदलता हुआ स्वरूप तो उसमें हम लोग देख रहे हैं कि आज का मीडिया का जो स्वरूप है, विशेषकर डिजिटल मीडिया और अन्य सब का तो एक तरह से उसमें दो तीन चीज़ें बहुत स्पष्ट दिखती है। एक तो मीडिया में प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है, उसमें प्रतीक्षा करने का समय नहीं है, विकल्प नहीं है। आप चाह कर के भी प्रतीक्षा नहीं कर सकते। इस चीज़ को हम लोग समझते हैं। इसीलिए हम लोगों का यह प्रयास होता है कि यथाशीघ्र सूचनाएं आप तक पहुंचे ताकि आपका काम आसान हो और कोई गलत सूचना नहीं फैले। दूसरा हम लोग देखते हैं कि गति बहुत तेज हुई है। सूचना का जो प्रवाह है उसकी गति बहुत ज्यादा हुई है, विभिन्न माध्यमों से वह बहुत तेजी से फैलती है।
हम सभी एक दूसरे के पूरक हैं। खबरें बहुत तेजी से फैलती है इसलिए हम लोगों को थोड़ा और सतर्क रहने की आवश्यकता है। पहले की तुलना में मीडिया की पहुँच भी बहुत ज्यादा हुई है। बदलते स्वरूप में एक ये भी है कि इसकी पहुँच भी बहुत ग्राउंड लेवल तक हुई है। सोशल मीडिया या डिजिटल मीडिया। एक एक व्यक्ति तक पहुँच हुई है। जो यूट्यूब की बात हो रही थी तो उसमें जरूरी है कि कुछ एथिक्स और कुछ आचार की बातें हों। ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया और यूट्यूब आदि के लिए एक एथिकल मानदंड होना चाहिए। इन सभी के लिए एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम होना चाहिए और वो आसानी से उपलब्ध भी होना चाहिए। आज कल बहुत सारे प्रोग्राम ऑनलाइन होते हैं, वैसा भी किया जा सकता है। जो लोग इच्छुक हैं ओरिएंटेशन प्रोग्राम कर सकते हैं, देख सकते हैं एवं समझ सकते हैं।
सोशल मीडिया कोर्स को बच्चों के लिए स्कूल के सिलेबस में भी हेाना चाहिए। सोशल मीडिया का क्या महत्त्व है और उसके क्या सामाजिक दायित्व है, उसके बारे में किस बात को, किस ढंग से हम रियेक्ट करें? इसके बारे में स्कूल में बताया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा कभी-कभी काफी अशोभनीय पोस्ट डाला जाता है। वो एक सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए जरूरी है कि एक हम लोग स्कूल सिलेबस में इन चीजों को शामिल करें कि सोशल मीडिया को कैसे हैंडल करना है और कैसे रिस्पॉन्ड करना है और कैसे उसको यूज़ करना है। ये समय की डिमांड है।
आज जो चर्चाएं-परिचर्चाएं हुई हैं उसमें सब बातें आई हैं और प्रशासन के लिए जो आप लोगों के कुछ सुझाव हैं उसको हम लोग बिल्कुल स्वीकार करते हैं। उसके लिए हम लोग प्रयास करेंगे और जो अन्य कार्यालयों- स्तरों की भी बात हुई है उसका भी फीडबैक हम लोग सरकार तक पहुंचाएंगे । सूचनाओं का प्रवाह जो है वह निर्बाध रूप से होता रहे और सभी ऑथेंटिक तथ्य जनता तक आता रहे। हम लोग जानते हैं और आपके सामने भी मानते हैं कि आपके लिए चुनौतियां हैं। आप बहुत कठिन परिश्रम करते हैं। हम आपकी जगह पर खुद को रखकर देखते हैं, सोचते हैं और उसी हिसाब से रेस्पॉन्ड करते हैं कि हमसे क्या अपेक्षा करते हैं। हम लोग आपकी मेहनत से और आपकी मनःस्थिति जो है उससे पूरी तरीके से परिचित हैं और वाकिफ हैं और हम लोग आपकी प्रशंसा करते हैं। आज के इस अवसर पर आप लोगों को पुनः बहुत शुभकामना और आप लोग कभी-कभी शॉर्ट नोटिस पर भी इतनी बड़ी मात्रा में उपस्थित हो जाते हैं उसके लिए आपका आभार जिला प्रशासन की तरफ से। बहुत बहुत धन्यवाद।
अकबर ईमाम एडिटर इन चीफ