महिला मजदूरों के बच्चों के लिए पटना मे खुल गया पहला पालना घर।
1 min readराज्य के शहरी इलाकों में रहने वाले अत्यंत निर्धन परिवार के जीविकोपार्जन हेतु जीविका, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार द्वारा सतत् जीविकोपार्जन योजना ‘शहरी’ का संचालन किया जा रहा है। पटना एवं गया जिले में इस योजना के क्रियान्वयन हेतु जीविका एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी बांगलादेश रूलर एंड एडवांशमेंट कमिटी (बराक) के बीच एक समझौता ज्ञापन किया गया है। इसके तहत शहरी इलाकों के अत्यंत निर्धन परिवारों के जीवन में सुधार लाने हेतु कई प्रकार के कार्य किए जाने है। इसी क्रम में पटना नगर निगम के वार्ड संख्या 54 में व्यवहार न्यायलय, पटना सिटी के समीप स्थित रैनबसेरा’ में ‘मोबाइल क्रेच’ के माध्यम से 15 बच्चों की क्षमता वाले एक ‘पालना घर’ का संचालन आरंभ किया गया है। इसका शुभ उदघाटन आज दिनांक 6 फरवरी, 2024 को जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह (भा. प्र. से). के कर कमलों द्वारा किया गया।
शहरों में अत्यंत निर्धन परिवारों की ऐसी अनगिनत महिलायें है जिन्हें रोजगार की चाहत भी है और जरूरत भी, लेकिन अपने छोटे बच्चों की उचित देखभाल का कोई सुरक्षित विकल्प नहीं होने के कारण उन्हें घर से बाहर कदम बढ़ाने से पहले ही रोकना पड़ता है। यह पालनाघर ऐसी ही जरूरतमंद महिलाओं के आजीविका को प्रोत्साहित करने एवं उनके 3 वर्ष तक की आयु के बच्चों के सुरक्षित ठहराव, स्वास्थ्य एवं पोषण तथा विधालय पूर्व शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया
पालना घर का संचालन प्रतिदिन प्रातः 9.30 बजे से संध्या 5.00 बजे तक किया जाएगा। इस अवधि में स्थानीय समुदाय की ही प्रशिक्षित एवं निपुण कर्मियो के द्वारा बच्चों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ तीन बार पोषण-युक्त आहार खिलाने एवं खेल-खेल में पढ़ने और सीखने जैसी गतिविधियों करायी जायेंगी। यहाँ उपलब्ध समस्त सुविधाएँ पूर्णतः निशुल्क है।
पालनाघर के शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि गरीब/अत्यंत गरीब महिलाओं के सषक्तिकरण हेतु राज्य सरकार निरंतर प्रयत्नशील है और इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे है। अब बड़ी संख्या में महिलायें आजीविका हेतु घर से बाहर निकल रही है और ऐसे में उनके जरूरतो को ध्यान में रखते हुए यह पहल की गई है। उन्होने कहा कि पालनाघर के सफल संचालन में समुदाय की सहभागिता अनिवार्य है और मुझे पूरा विश्वास है कि समुदाय इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा और अपनी जिम्मेवारी का भी वहन करेगा।
बराक की प्रतिनिधि श्वेता बनर्जी ने बताया कि महिलाओं के सषक्तिकरण के इस मुहिम में सहभागी बनना एक सुखद अनुभूति है और संस्था इस पहल में हर संभव सहयोग करेगी।जीविका की परियोजना समन्वयक श्रीमती महुआ रॉय चौधरी ने बताया कि सतत जीविकोपार्जन योजना अत्यंत गरीबों के लिए राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है और इस समुदाय के महिलाओं के जीविकोपार्जन गतिविधियों को बढ़ाने में यह पालनाघर काफी सहायक होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।
पालनाघर के संचालक संस्था mobile creches के राज्य प्रतिनिधि श्री रूपेश कुमार सिन्हा ने कहा कि हमारी संस्था को पिछले 54 वर्षों में 18 राज्यों में सरकार और समुदाय के साथ मिलकर पालनाघर के संचालन से जो अनुभव प्राप्त हुआ है, उसका बेहतर उपयोग बिहार में किया जा रहा है। आगे उन्होने बताया कि गया के धनिया बगीचा इलाके में एक मॉडेल पालनाघर का सफल संचालन संस्था कर रही है | राज्य के अन्य जिलों में भी इस प्रकार के मॉडल पालनाघर खोलने की योजना है। इस अवसर पर इलाके में रहने वाली अत्यंत निर्धन परिवार की कुछ महिलाओं ने भी अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में वार्ड संख्या 53 की वार्ड पार्षद श्रीमती किरण महतो, जीविका के प्रोग्राम प्रबंधक श्रीमती सौम्या, जिला परियोजना प्रबंधक श्री मुकेश कुमार, प्रोजेक्ट कन्सर्न इंटरनेशनल की डायरेक्टर श्रीमती इरिना सिन्हा, यूनिसेफ की श्रीमती गार्गी साहा, राष्टीय आजीविका मिशन के नगर प्रबंधक आरिफ़ हुसैन, क्षेत्र की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के साथ-साथ बड़ी संख्या में इलाके के अति निर्धन परिवार की महिलाये एवं बच्चे उपस्थित थे ।
अकबर ईमाम एडिटर इन चीफ